किसानों के पास बिजली, डीजल या फिर ट्रैक्टर से चलने वाला पंप सेट होना जरूरी है.
किसानों के पास जरूरी कागजों में आधार कार्ड, जमीन के कागज और सिंचाई पाइपलाइन के बिल होने चाहिए.
सिंचाई पाइपलाइन की किसानों की खरीद उसी से करनी होगी, जिसका कृषि विभाग में रजिस्ट्रेशन हो.
वाटर टैंक निर्माण में पर मिलगी इतनी सब्सिडी
राजस्थान में खेती करने वाले लगभग हर तबके के किसानों को करीब 100 घन मीटर या फिर 1 लाख लीटर की क्षमता वाले वाटर टैंक के निर्माण करने पर 90 हजार रुपये का अनुदान सरकार देगी. वहीं किसानों को अगर इस योजना का फायदा लेना है तो, उनका नाम कम से कम आधास हेक्टेयर खेती की जमीन होनी जरूरी है. इसके लिए आवर कौन कौन सी चीजों का होना अनिवार्य है, ये जान लेते हैं.
आवेदन करने के लिए किसानों को अपना आधार कार्ड एयर जमीन की जमाबन्दी के कागज जमा करवाने होंगे.
किसानों के आवेदन करने बाद ही कृषि विभाग वाटर टैंक निर्माण के लिए प्रशासनिक स्वीकृति जारी करेगा.
इससे जुड़ी जानकारी किसानों को जिला कृषि विभाग में मोबाइल पर एसएमएस के जरिये दी जाएगी.
जानिए कैसे करें रजिस्ट्रेशन
अगर कोई किसान वाटर टैंक के निर्माण और सिंचाई पाइपलाइन की खरीद करना चाहता है, तो बता दें कि, इससे जुड़े अनुदान की योजनाएं एक दूसरे से अलग अलग हैं. जिनका लाभ पाने के लिए किसानों को किसान साथी पोर्टल रजिस्ट्रेशन करना होगा. जिसके बाद जिला कृषि विभाग रजिस्ट्रेशन का सत्यापन करेगा. अगर सब कुछ ठीक रहा तो, सरकार अनुदान की राशि सीधा किसानों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करेगी.
किसान भाई अब तकनीक के मामले में भी किसी को भी मात दे सकते हैं। ऐसे कई किसान हैं, जिन्होंने खुद ही इस सिस्टम को डेवलप कर डाला है। मिस्ड कॉल पंप जीएसएम पर आधारित एक रिमोट कंट्रोल स्विच होता है। जिसे मोबाइल से ऑपरेट किया जाता है, यानि की आप मोबाइल कॉल से ही उसे ऑन और ऑफ कर सकते हैं। मिस्ड कॉल वाले मोबाइल सिस्टम ने किसानों के लिए एग्रीकल्चर पंप शुरू करके काफी आसानी कर दी है। मोबाइल एनेबल्ड सिस्टम के साथ इस पंप को कितनी देर तक चलाना है, यह भी निर्धारित किया जा सकता है। इससे किसानों को काफी फायदा मिला है। साथ ही समय, बिजली या डीजल और पानी जैसी मूलभूत चीजों की बचत में भी मदद मिली है।
दो किलोमीटर दूर से ऑपरेट होता है सिस्टम
बिहार राज्य में स्थिति कैमूर में किसान ने ऐसे ही पंप के साथ काम किया है। किसान की मानें तो वो दो किलोमीटर दूर अपने घर पर आराम से बैठकर ही सिंचाई के लिए पंप चला देते हैं। उन्हें सिंचाई के लिए कुएं में लगा मोटर चलाने के लिए खेतों तक नहीं जाना पड़ता। जो सबसे बड़ी सहूलियत है।
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किसान की मानें तो, वो इस तकनीक के साथ करीब तीन साल से काम कर रहे हैं। इस दौरान किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। इसके लिए उन्हें खेत पर जाने के बाद भी उन्हें कुएं तक जाने की जरूरत नहीं होती। वो सिर्फ एक मिस्ट कॉल से मोटर को चला देते हैं, और घर पर आराम करते हैं। जैसे ही खेतों की सिंचाई हो जाती है, वैसे ही वो मिस्ड काल देकर मोटर को बंद कर देते हैं।
कैसे होता है ऑपरेट?
फसलों की सिंचाई के लिए मोबाइल से मिस्ड कॉल वाला वाटर पंप संचालित करने की यह तकनीक किसानों को खूब पसंद आ रही है। नॉर्मल मोबाइल से मोटर पंप को खोला और बंद किया जा सकता है। मोटर के स्टार्टर में मोबाइल वायब्रेट से करीब 6 वोल्ट डीसी रिले को जोड़ा जाता है। टेप रेडियो में लगने वाली 240 वोल्ट एसी रिले को जोड़कर 240 वोल्ट रिले को स्टार्टर से कनेक्ट कर दिया जाता है। मिस्ड कॉल देने पर मोबाइल के वायब्रेशन से 6 वोल्ड डीसी रिले ऑपरेट हो जाता है। जो 240 वोल्ट ईएसआई को 240 वोल्ट रिले मोटर के स्टार्टर को शुरू कर देती है।
राजस्थान के किसान अब सिंचाई की समस्या से पाएंगे निजात
राजस्थान भूजल चुनोतियाँ को झेलने वाले राज्यों में से एक है। ऐसी स्थिति में यहां के कृषकों को सिंचाई चुनौतियों का सामना करना होता है। इस वजह से राज्य सरकार द्वारा कृषकों को बढ़ावा देने के लिए ताल-तलाई, जलहौज (पानी की टंकी) की स्थापना की जा रही है।
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राजस्थान सरकार किसानों को इस संकट से निजात दिलाने के उद्देश्य से आर्थिक सहायता कर रही है। जिसके लिए राजस्थान सरकार के माध्यम से किसानों को जलहौज मतलब पानी की टंकी के निर्माण हेतु 60 फीसद का अनुदान उपलब्ध किया जा रहा है। जिसके माध्यम से किसान जलहौज की स्थापना करके बारिश के जल का संचयन कर इसको सिंचाई अथवा बाकी आवश्यक कृषि कार्यों में उपयोग कर सकते हैं।
सरकार किसानों को 90 हजार रुपये देकर टंकी निर्माण में करेगी सहयोग
राजस्थान सरकार की आधिकारिक पोर्टल राज किसान साथी पोर्टल के मुताबिक, राज्य के कृषकों को न्यूनतम आकार 100 घनमीटर अथवा 1 लाख लीटर जलभराव क्षमता वाली पानी की टंकी के निर्माण हेतु ज्यादा से ज्यादा 90 हजार रुपये प्रदान किए जाएंगे।
इस किसान भाइयों को मिलेगा योजना का फायदा
प्रदेश के समस्त श्रेणी के कृषकों को इस योजना का फायदा मिल पाएगा। बशर्ते योजना का फायदा लेने वाले किसानों के समीप आधी हेक्टेयर भूमि एवं सिंचाई का स्रोत होना जरुरी है। इसके साथ ही किसानों के समीप जमाबंदी की नकल अवश्य होनी चाहिए। साथ ही, यह भी ध्यान रहे कि जमाबंदी की नकल 6 माह से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए।
किसान भाई इस तरह ले सकते हैं योजना का लाभ
राजस्थान राज्य के जो भी किसान इस योजना से फायदा उठाना चाहते हैं। वो राजकिसान साथी पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं अथवा वो अपने आसपास के ई-मित्र केन्द्र पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
इसी कड़ी में अब हरियाणा सरकार ने भी ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देने और रिचार्जिंग बोरवेल मुहैय्या कराने हेतु किसान भाइयों को सब्सिड़ी दी जा रही है। इस संबंध में सरकार का यह कहना है, कि हमारे इस प्रयास से जल संरक्षण एवं इसका संचयन करने में विशेष सहायता मदद प्राप्त होगी। साथ ही, यह घटते भूमिगत जल स्तर के संकट को भी दूर करने में सहायता करेगा।
किसानों को सूक्ष्म सिंचाई हेतु 85% अनुदान का प्रावधान
कृषि क्षेत्र में सिंचाई हेतु सर्वाधिक निर्भरता भूमिगत जल पर ही रहती है। जल की उपलब्धता को निरंतर स्थिर बनाए रखने के लिए जल की अधिक खपत वाली फसलों को हतोत्साहित किया जा रहा है। इसकी अपेक्षा बागवानी फसलों की कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, सूक्ष्म सिंचाई मॉडल को प्रचलन में लाने के लिए किसानों को रीचार्जिंग बोरवेल पर सब्सिड़ी दी जा रही है। हिसार में आयोजित कृषि विकास मेले में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा है, कि वर्तमान हालात को ध्यान में रखते हुए हमें जल की खपत को कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को उपयोग में लाना होगा। क्योंकि यह किसानों के लिए सस्ता और सुविधाजनक होता है। साथ ही, राज्य सरकार सूक्ष्म सिंचाई को उपयोग में लाने के लिए किसान भाइयों को 85% अनुदान भी प्रदान कर रही है।
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1,000 रीचार्जिंग बोरवेल लगाने का लक्ष्य तय किया गया है
भारत में फिलहाल भूजल स्तर में आ रही गिरावट को पुनः ठीक करने के लिए वर्षा जल संचयन को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। इसी संबंध में राज्य सरकार रीचार्जिंग बोरवेल के निर्माण की योजना बना रही हैं, जिसके माध्यम से वर्षा के जल को पुनः भूमि के अंदर पहुंचाया जा सके। इस कार्य हेतु किसान भाइयों को 25,000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इसके अतिरिक्त जो भी खर्चा होगा उसको हरियाणा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
इस तरह किसान आवेदन कर सकते हैं
हरियाणा सरकार द्वारा रीचार्जिंग बोरवेल पर आवेदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन माध्यम से भी कर दिया गया है। अगर आप भी हरियाणा राज्य के किसान हैं और स्वयं के खेत में जल संचयन हेतु बोरवेल स्थापित कराना चाहते हैं, तब आप सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, हरियाणा की वेबसाइट hid.gov.in पर जाकर आवेदन किया जा सकता है। इसके बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करने के लिए स्वयं के जनपद के कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर फायदा उठा सकते हैं।
इन दिनों अगर सिंचाई की बात करें तो भूमि के एक बहुत बड़े हिस्से की सिंचाई भूमिगत जल के द्वारा की जाती है। जिसके कारण भूमिगत जल का लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है। जो पर्यावरण में नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। हालांकि इससे बागवानी फसलों को प्रोत्साहन मिल रहा है लेकिन इससे फायदे होने की जगह नुकसान ज्यादा हैं। इसको देखते हुए अब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा की है कि सूक्ष्म सिंचाई मॉडल अपनाने के लिए अब किसानों को 85% तक की सब्सिडी दी जाएगी। इस मॉडल में किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को अपनाना होगा। ये किसानों के लिए बेहद सस्ता और सुविधाजनक भी है।
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पहले चरण में इतने लोगों को दी जाएगी सब्सिडी
सरकार ने बताया है कि सूक्ष्म सिंचाई मॉडल के अंतर्गत गिरते भूजल स्तर को वापस रिकवर करने के लिए सरकार रीचार्जिंग बोरवेल लगाने की योजना पर काम कर रही है। जिससे बरसात के पानी का संचयन करके उसे वापस जमीन में पहुंचाया जा सके। सरकार ने बताया है कि रीचार्जिंग बोरवेल लगाने के लिए किसान को मात्र 25 हजार रुपये खर्च करने होंगे। इसके बाद जो भी खर्च आता है वो हरियाणा की सरकार वहन करेगी। पहले चरण में राज्य में सरकार ने 1 हजार रीचार्जिंग बोरवेल लगाने का लक्ष्य रखा है।
सब्सिडी प्राप्त करने के लिए इस प्रकार करें आवेदन
हरियाणा सरकार की ओर से कहा गया है कि अब आवेदन करने के लिए किसान भाइयों को किसी भी प्रकार से परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है। इसके लिए इच्छुक किसान भाई हरियाणा सरकार के सिंचाई और जल संसाधन विभाग की वेबसाइट hid.gov.in पर जाकर बेहद आसानी से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा किसान भाई अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि विभाग में भी संपर्क कर सकते हैं और इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
सरकार कितने करोड़ की धनराशि अनुदान स्वरुप किसानों को प्रदान कर रही है
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राज्य में सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था को ज्यादा सुदृढ़ करने के लिए डिग्गी, फार्म पौण्ड और सिंचाई पाइपलाइन आदि कार्यों हेतु 463 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। साथ ही, सरकार की तरफ से अधिकारीयों को यह निर्देश भी दिए गए हैं, कि इस परियोजना पर शीघ्रता से कार्य चालू किया जाना चाहिए।
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लाभन्वित किसानों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी
इसके अतिरिक्त आगामी 2 वर्षों में फार्म पौण्ड निर्माण करने हेतु लगभग 30 हजार किसानों को लाभान्वित करने की संख्या में वृद्धि कर दी जाएगी। इस बार सरकार का यह उद्देश्य रहेगा कि फार्म पौण्ड निर्माण के लिए कृषकों की संख्या तकरीबन 50 हजार तक कर दिया गया है।
सरकार किसको अनुदान मुहैय्या कराएगी
यदि आप भी राजस्थान के रहने वाले हैं, तो आप आसानी से इस सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था का फायदा प्राप्त कर सकते हैं। जैसा कि उपरोक्त में आपको कहा गया है, कि राज्य में किसानों की सहायता करने के लिए सरकार डिग्गी, फार्म पौण्ड एवं सिंचाई पाइपलाइन से संबंधित कार्य हेतु लगभग 463 करोड़ रुपए का खर्चा करने का प्रस्ताव जारी कर दिया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं सरकार द्वारा यह भी कहा गया है, कि इस सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था के तहत एससी, एसटी के गैर लघु-सीमांत किसान भाइयों को तकरीबन 10 प्रतिशत से अतिरिक्त अनुदान की सहायता प्रदान की जाएगी।
बतादें, कि इस संदर्भ में राजस्थान सरकार के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर भी जानकारी प्रदान की गई है। जिससे कि प्रदेश की इस सुविधा के विषय में प्रत्येक किसान भाई को पता चल सके।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार द्वारा भूमिगत जल स्तर को सुरक्षित करने हेतु ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना जारी की गई है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार धान के स्थान पर अन्य फसलों का उत्पादन करने के लिए किसानों को प्रेरित और प्रोत्साहित कर रही है। इससे भूमिगत जल स्तर को संरक्षित किया जा सके। विशेष बात यह है, कि धान के स्थान पर बाकी फसलों की खेती-किसानी करने वाले कृषकों को सरकार 7 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान भी प्रदान कर रही है।
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दरअसल, हरियाणा सरकार का कहना है, कि धान की खेती में अत्यधिक जल की आवश्यकता होने की वजह से जल का दोहन भी अधिक होता है। इसके स्थान पर मक्का, तिलहन, हरी सब्जी और दाल की खेती कर जल की खपत कम की जा सकती है। क्योंकि इन फसलों की खेती में बेहद न्यूनतम पानी की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त डीएसआर तकनीक द्वारा धान की खेती करने पर 4000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान प्रदान किया जाएगा।
हरियाणा सरकार ड्रिप इरिगेशन पर कितना अनुदान दे रही है
हरियाणा सरकार सतर्कता से जल संरक्षण हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है। सरकार की तरफ से ड्रिप इरिगेशन पर भी 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इस विधि द्वारा फसलों की सिंचाई करने पर जल की बर्बादी बेहद कम होती है, क्योंकि बुंद-बुंद कर के पानी फसलों की जड़ों तक पहुंचता है। यदि किसान भाई बाकी फसलों का उत्पादन करते हैं, तब वह सरकारी अनुदान का फायदा प्राप्त कर सकते हैं।
बिहार के इन जिलों को वर्षा के समय बाढ़ का सामना करना पड़ता है
दरअसल, उत्तरी बिहार के विभिन्न जनपद प्रतिवर्ष बारिश के मौसम में बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। इससे खेतों में खड़ी फसल बाढ़ के पानी के साथ बह जाती है, जिससे किसान भाइयों को करोड़ों रुपये की हानि होती है। साथ ही, दक्षिणी बिहार के गया, जहानाबाद, औरंगाबाद और नवादा समेत विभिन्न जनपदों में उत्तरी बिहार के तुलनात्मक कम बरसात होती है। इससे इन जनपदों में रबी के साथ- साथ खरीफ फसल के दौरान भी जल की समस्या बनी रहती है। ऐसी स्थिति में किसान फसलों की वक्त पर सिंचाई नहीं कर पाते हैं।
बिहार राज्य के अंदर सिंचाई के साधनों हेतु जूझ रहे कृषकों के लिए एक खुशखबरी है। बिहार सरकार की तरफ से सामूहिक नलकूप योजना के अंतर्गत किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान देने का ऐलान किया गया है। इसका अर्थ यह है, कि सामूहिक नलकूप की स्थापना करने पर किसान भाइयों को सरकार से 80 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। अब ऐसी स्थिति में किसान भाई समूह बनाकर इस योजना का फायदा उठा सकते हैं।
पानी से जुड़ी समस्या पर सरकार का प्रहार
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने राज्य में सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहन देने के लिए इस योजना को जारी किया है। सरकार का यह मानना है, कि इस विधि से सिंचाई करने पर जल की काफी बचत होगी और पौधों को भरपूर मात्रा में जल मिल सकेगा। अब ऐसे में जो किसान भाई ड्रिप इरिगेशन एवं मिनी स्प्रिंकलर विधि द्वारा अपनी फसल की सिंचाई करना चाहते हैं, वह समूह बनाकर अनुदान का लाभ उठा सकते हैं।
आवेदन कर योजना का लाभ उठाएं
किसान भाई अनुदान से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो वह कृषि विभाग की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं। साथ ही, अनुदान का लाभ उठाने वाले समूह उद्यान निदेशालय की वेबसाइट http://www.horticulture.gov.in पर जाकर आवेदन भी कर सकते हैं।